ওঁ শ্রী গুরবে নমঃ
যে বিদ্যার অভ্যাস ও অনুশীলন করলে জীব সংসার বন্ধন থেকে মুক্তি এবং আত্মজ্ঞান লাভ করে নিজের প্রকৃত সচ্চিদানন্দস্বরূপকে প্রাপ্ত হয় তারই নাম ব্রহ্মবিদ্যা। ব্রহ্মবিদ্যা আর্য ঋষিদের একটি অমূল্য সম্পদ এবং আমাদের সনাতন ধর্মের রত্নভান্ডারের মধ্যে সর্বশ্রেষ্ঠ। এই ব্রহ্মবিদ্যা আমাদের নিম্বার্ক সম্প্রদায়ে গুরু-শিষ্য প্রকরণে সদ্গুরু পরম্পরার দ্বারা এখনো সংরক্ষিত রয়েছে। বর্তমান যুগে আমার পরমপূজ্যপাদ গুরুদেব কাঠিয়া বাবা শ্রীশ্রী ১০৮ স্বামী কৃষ্ণদাসজী মহারাজ এবং আমার পরদাদাগুরুজী শ্রীশ্রী ১০৮ স্বামী সন্তদাসজী মহারাজ এই বিদ্যার জটিল তত্ত্বগুলোকে সর্বসাধারণের জন্য সাবালীল সরল ভাষায় প্রকাশ করেছেন। কিন্তু এত দিন তাঁদের উপদেশ সকল কাগজের পৃষ্ঠায় আবদ্ধ রয়েছে। সেই সকল উপদেশ ও কথা আজকালকার অধুনা যুগের ইন্টারনেটের মাধ্যমে প্রকাশ করাই এই ওয়েব সাইটের উদ্দেশ্য।
কেশবদাস
ॐश्री गुरवे नमः
जिस विद्या का अभ्य़ास और अनुशीलन करने से जीव आत्मज्ञान को प्राप्त करता है और संसार बन्धन से मुक्त होकर अपने सच्चिदानन्द स्वरूप को प्राप्त करता है, उसे ब्रह्मविद्या कहते हैं। ब्रह्मविद्या आर्य ऋषि-मुनियों की एक अमूल्य धरोहर है और सनातन धर्म के रत्नभण्डार का सबसे अनमोल रत्न है। यह ब्रह्मविद्या निम्बार्क सम्प्रदाय में गुरु-शिष्य प्रकरण से सदगुरु परम्परा द्वारा अब भी संरक्षित है। वर्तमान काल में मेरे परमपूज्यपाद गुरुदेव काठिया बाबा श्रीश्री १०८ स्वामी कृष्णदासजी महाराज और मेरे परदादागुरुजी श्रीश्री १०८ स्वामी सन्तदासजी काठिया बाबाजी महाराज ने इस जटिल ब्रह्मविद्या के तत्त्वों को सहज सरल भाषा में प्रकाश किया है। परन्तु, अब तक उनके उपदेश और व्याख्या ग्रन्थों और पुस्तकों में ही सीमित रहे हैं। उनके उपदेश और तत्त्वज्ञान को आधुनिक काल में इन्टरनेट के माध्यम से प्रकाश करना ही इस वेब साइट का उद्देश्य है।
केशवदास
Om Sri Gurave Namah
Brahmavidya is the apex of all spiritual knowledge which leads to self realization and frees a human being from the bondage of the material world. Brahmavidya is the most valuable precious gemstone of the Arya Rishis among all the jewels of the Sanatana Dharma and is the greatest of our spiritual traditions. This Brahmavidya is still preserved in the Nimbarka sampradaya by the Sadguru tradition and has been passed on to future generations through the guru-shishya tradition. In the present age, my revered Gurudeva Kathia Baba Sri Sri 108 Sri Krishnadasji Maharaj, and Sri Sri 108 Swami Santadasji Maharaj before him, have explained the complex theories of Brahmavidya in the simple language for the common people. But their teachings and explanations have remained bound in the pages of books till now. The purpose of this web site is to publish their teachings and explanations through today's modern Internet.
Keshavdas